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आपदा प्रबंधन केवल सरकारी दायित्व नहीं:कर्नल पाण्डेय

आपदा प्रबंधन केवल सरकारी दायित्व नहीं:कर्नल पाण्डेय
अनिल वर्मा को 11- यू० के० गर्ल्स बटालियन ने किया सम्मानित

देहरादून।आपदा प्रबंधन केवल सरकारी दायित्व नहीं है,आम जनता का सक्रिय सहयोग भी बेहद जरूरी है।
    उक्त विचार एन०सी०सी० की  11- यू० के० गर्ल्स बटालियन के कमान अधिकारी कर्नल पाण्डेय ने एस०बी०एस० यूनिवर्सिटी बालावाला में जारी छात्रा कैडेटों के संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर के दौरान यूथ रेडक्रास सोसायटी, देहरादून द्वारा आयोजित विशेष आपदा प्रबंधन, फर्स्ट एड प्रशिक्षण तथा रक्तदान एवं नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम के उपरांत 600 छात्रा कैडेटों तथा अधिकारियों को बतौर  मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने मास्टर ट्रेनर यूथ रेडक्रास कमेटी के चेयरमैन अनिल वर्मा द्वारा छात्रा कैडेटों को प्रदान किए गए प्रशिक्षण को उच्च स्तरीय बताते हुए आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षित छात्राएं विभिन्न आपदाओं के दौरान  जन -धन की हानि को सीमित करने में सरकार का सहयोग करने में निश्चित रूप से सक्षम साबित होंगी।
       11- यू के गर्ल्स बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल ओ पी पाण्डेय ने श्री अनिल वर्मा को 155 बार रक्तदान करने तथा कैडेटों को प्रदत्त प्रशिक्षण की सराहना करते हुए उन्हें 11 - यू० के० गर्ल्स बटालियन की तरफ से ट्राॅफी प्रदान करके विशेष रूप से सम्मानित किया।  
      इसके साथ ही कैडेटों से नशामुक्त  जीवन बिताते हुए दूसरों का जीवन बचाने के लिए स्वेच्छापूर्वक रक्तदान करने का अनुरोध किया। उन्होंने "प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर" के सिद्धांत को जीवन में अपनाते हुए नशामुक्त तथा थैलीसीमिया मुक्त भारत बनाने हेतु कैडेटों का आह्वान किया।
          इससे पूर्व मुख्य प्रशिक्षक यूथ रेडक्रास कमेटी के चेयरमैन अनिल वर्मा ने  उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बताते हुए कहा  कि उत्तराखंड में 8 रिक्टर या इससे अधिक स्केल का भूकंप किसी भी क्षण आ सकता है। अतः इससे  निबटने के लिए यहां के प्रत्येक नागरिक के लिए आपदा  प्रबंधन का प्रशिक्षण जरूरी है।उन्होंने  छात्रा कैडेटों को आपदा की परिभाषा व प्रकार के साथ ही "'सर्च एंड रेस्क्यू"' के तहत्  आपदा के दौरान मलबे  में फंसे रोगी , वृद्ध , बच्चों अथवा  घायलों को सुरक्षित निकालकर ले जाने के फ्री  हैंड "इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू" की ह्यूमन क्रेडल , ह्यूमन क्रच, फायरमैन्स लिफ्ट, फोर एंड आफ्ट मेथड,  टू-थ्री -फोर हैंडेड सीट , टो - ड्रेग, पिक अबैक, रिवर्स पिक अबैक, इम्परोवाइज्ड स्ट्रेचर व ब्लैंकेट लिफ्ट के साथ ही रोप रेस्क्यू के अंतर्गत रस्सियों में  थम्ब नाॅट , फिगर ऑफ ऐट, आदि विभिन्न गांठें लगाकर बो लाईन- ड्रेग  व चेयर नॉट, ड्रा -हिच आदि का विधिवत् प्रशिक्षण प्रदान किया।
         सघन प्रशिक्षण के उपरांत वरिष्ठ जी० सी० आई० मंजू पंवार कैंतुरा , सिव्या गुप्ता रस्तोगी तथा  पूनम पंत जोशी के कुशल नेतृत्व में विभिन्न विद्यालयों /महाविद्यालयों की सीनियर अंडर ऑफीसरों  व कैडेटों दून यूनिवर्सिटी से चैतन्या  आले व सानिया पंवार, एस बी एस यूनिवर्सिटी से साक्षी नेगी व शिवांगी, आर्मी  पब्लिक स्कूल से दक्षता क्षेत्री, आई० एम० ए० केंद्रीय विद्यालय से कैडेट रिया व एन एस एम से कैडेट स्नेहा ने आपदा के दौरान घरों , बिल्डिंगों व मलबे में फंसे घायलों को सुरक्षित निकालकर ले जाने के "बचाव के आपात्कालीन तरीकों" का लाईव  प्रदर्शन भी किया। उपस्थित कैडेटों ने बार- बार करतल ध्वनि से स्वागत किया।
       श्री वर्मा ने "फर्स्ट एड प्रशिक्षण"  के अंतर्गत किसी  हार्ट अटैक के के दौरान मृतप्राय व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की विश्व भर में चिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित विधि "कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन (सी पी आर)"  की  प्रक्रिया का सम्पूर्ण सैद्धांतिक व व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
      युवा छात्रा  कैडेटों को  रक्तदान  करने के लिए प्रेरित करते हुए रक्तदाता शिरोमणि अनिल वर्मा ने बताया कि उन्होंने स्वयं 18 वर्ष 2 महीने की उम्र में सन् 1971 में एन सी सी  नेवल विंग कैडेट के रूप में पहली बार घायल सैनिकों के लिए रक्तदान किया था और वे अब तक कुल 155 बार रक्तदान कर चुके हैं।        उन्होंने इसका महत्व बताते हुए कहा कि  रक्त एक औषधि है जो केवल खून के रूप में एक मनुष्य द्वारा ही दूसरे मनुष्य को देकर जीवनदान दिया जा सकता है। अतः  प्रत्येक व्यक्ति 18 - 65 वर्ष की उम्र तक पुरुष हर 3 माह बाद और महिलाएं हर 4 ।।माह बाद रक्तदान करके सैंकड़ों लोगों का जीवन बचा सकते हैं।
       श्री वर्मा ने रक्तदान के बारे शरीर में कमजोरी आने सहित सभी अंधविश्वासों को दरकिनार करके उल्टे रक्तदाता को स्वयं होने वाले अनेक लाभ गिनाए। 
         रक्तदाता प्रेरक अनिल वर्मा ने थैलीसीमिया रक्त रोग पर  कैडेटों का विशेष ध्यान खींचते हुए कहा कि चूंकि यह रोग माता - पिता से बच्चों में आता है अतः लड़का- लड़की दोनों शादी से पूर्व जन्म कुंडली के बजाय रक्त कुंडली (थैलीसीमिया जांच) अवश्य मिलाएं ताकि बच्चा थैलीसीमिया से पीड़ित होकर जीवन भर रक्त पर निर्भर न रहे।
         "नशामुक्ति" पर बोलते हुए श्री वर्मा ने कहा कि नशा  जीवन विनाश और दुर्दशा का कारण है। आजकल स्टेटस सिंबल , मेंटल टेंशन , रिलैक्स या एंजोयमेंट के बहाने तम्बाकू, सिगरेट या शराब के  सेवन से शुरू हुई यात्रा शारीरिक , सामाजिक व आर्थिक बर्बादी की तरफ बढ़ते हुए अंत में श्मशान की ओर ले जाती है। इसकी गिनती नहीं कि नशे के कारण कितने परिवार प्रतिदिन बर्बाद  हो रहे हैं। आजकल  लड़कों के साथ - साथ लड़कियां भी बड़ी संख्या में स्वयं नशा करने और  नशे के व्यापार में संलग्न हैं। आए दिन नशामुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। माता - पिता के पास अपने बच्चों के साथ उठने - बैठने   बातचीत करने तथा उनपर आवश्यक निगरानी रखने के लिए समय नहीं  देना , इस दुष्परिणाम के रूप में सामने आता है। श्री वर्मा ने नशा व  नशीले पदार्थ क्या हैं ? नशीले पदार्थों के प्रकार , नशीले पदार्थों के सेवन के तरीके, नशा करने वालों के लक्षण व बीमारियां तथा नशा छुड़वाने में परिवार की भूमिका पर विस्तृत जानकारी  कैडेटों को दी ।
        शिविर का संचालन बटालियन की प्रशासनिक अधिकारी मेजर शशि मेहता ने तथा धन्यवाद ज्ञापन बटालियन के सूबेदार मेजर राकेश द्वारा किया गया।
         देर सायंकाल तक चले प्रशिक्षण / जागरूकता शिविर के सफल संचालन में पूर्व एन सी सी अधिकारी व यूथ रेडक्रास सदस्य मेजर प्रेमलता वर्मा, 11- यू के गर्ल्स बटालियन की प्रशासनिक अधिकारी मेजर शशि ‌मेहता, सूबेदार मेजर राकेश ,सू० मे० लक्ष्मण , तीनों सीनियर जी० सी० आई० मंजू पंवार कैंतुरा , सिव्या गुप्ता रस्तौगी, लेफ्टिनेंट विजयवर्गीय लक्ष्मी,सेकेंड ऑफीसरों चैतन्या
 प्रियंका जायसवाल, थर्ड ऑफीसर  प्रियंका नेगी तथा सी/ टी प्रिया काम्बोज सहित  बड़ी संख्या में आर्मी पी आई स्टाफ तथा गर्ल कैडेट्स उपस्थित थे।