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राज्य रक्त संचरण परिषद् ने मनाया स्वैच्छिक रक्तदान दिवस

देहरादून।चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तराखंड सरकार की स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, उत्तराखंड द्वारा राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस सीआईएमएसआर , कंबाइंड (पीजी) इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च , हर्रावाला, देहरादून में राज्य स्तरीय  विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रेडक्रास सोसायटी के रक्तदाता शिरोमणि डॉ० अनिल वर्मा को 155 बार रक्तदान करने हेतु "एसबीटीसी रियल लाइफ हीरो अवार्ड" से सम्मानित किया गया। साथ ही अब तक 80 बार रक्तदान कर चुके  "विचार एक नई सोच" संस्था के संस्थापक व समाजसेवी राकेश बिजल्वाण, पूर्व एनसीसी अधिकारी मेजर प्रेमलता वर्मा, लेफ्टिनेंट स्वाति शर्मा, श्री नारायण सिंह राणा सहित वक्ता छात्र छात्राओं को सम्मानित किया।
इससे पूर्व यूसैक्स के संयुक्त निदेशक अनिल सती ने स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाने के इतिहास तथा उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
        कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि सीआईएमएस के चेयरमैन एडवोकेट ललित जोशी, एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर कर्नल जे एस नेगी, प्राचार्य डॉ०आर एन सिंह,
कार्यक्रम अध्यक्ष स्वास्थ विभाग के उपनिदेशक वित्त महेन्द्र कुमार, दून मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक चिकित्साधिकारी डॉ० सना उमर, रेडक्रास सोसायटी के प्रबंधन समिति सदस्य डॉ० अनिल वर्मा, मेजर प्रेमलता वर्मा, मेजर ललित सामंत, लेफ्टिनेंट (डॉ०) स्वाति शर्मा , तथा यूसैक्स के संयुक्त निदेशक अनिल सती ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
       तत्पश्चात् कु० ने सरस्वती वन्दना पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया जिसका दर्शकों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।कु० आस्था ने रक्तदान- जीवनदान विषय पर स्वरचित कविता की प्रस्तुति ने श्रोताओं का मन मोह लिया।
     विचार गोष्ठी का शुभारंभ डॉ० अनिल वर्मा द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान की आवश्यकता, महत्व तथा इसे सौ प्रतिशत करने करने लिए प्रेरणादायक संबोधन से हुआ। उन्होंने नियमित रक्तदान करने से रक्तदाता को होने वाले अनेक फायदों की चर्चा करते हुए युवाओं से नशा बिल्कुल न करने, जंक फूड - फास्ट फूड का त्याग करने तथा रोड सेफ्टी के नियमों का पालन करते हुए नियमित रक्तदान करने की अपील की । उन्होंने थैलेसीमिया मुक्त भारत बनाने के लिए विवाह से पूर्व जन्म कुण्डली के साथ ही लड़का - लड़की दोनों की रक्त कुण्डली मिलान करने के बाद ही विवाह करने की सलाह दी ताकि आगे पैदा होने वाली संतान थैलेसीमिया के अभिशाप से ग्रस्त न हो ।
        दून चिकित्सालय ब्लड बैंक अधिकारी डॉ० सना उमर ने स्वैच्छिक रक्तदान के सम्पूर्ण मापदण्ड तथा प्रक्रिया का जिक्र किया। उन्होंने रक्तदान के विषय में समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए रक्त की इंतजार में अस्पतालों में पड़े मरीजों के दुःख- दर्द को महसूस करते हुए युवाओं से प्रति तीन माह बाद तथा महिलाओं से चार माह बाद नियमित रूप से रक्तदान करने की अपील की।
     विचार गोष्ठी में कु० अर्चित पण्डा, यशवर्धन पासवान, निहारिका फर्स्वाण, तथा आरती भट्ट ने स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए अपने विचार एवं सुझाव दिये।
        मुख्य अतिथि एडवोकेट ललित जोशी ने रक्तदान को मानवता की सेवा का सरलतम उपाय बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा छात्र छात्राएं स्वैच्छिक रक्तदान को समाजसेवा का माध्यम बनाकर मौत से जूझ रहे लोगों का जीवन बचाकर अच्छे नागरिक होने का सबूत पेश करेंगे।
      कार्यक्रम अध्यक्ष व उपनिदेशक वित्त स्वास्थ्य विभाग महेंद्र कुमार ने कहा कि परोपकार मनुष्यता की पहचान है। आपके एक बार किये गये रक्तदान से केवल तीन लोगों का जीवन ही नहीं बचता बल्कि उनसे जुड़े परिवार के अनेकों सदस्यों की भी खुशियां लौट आती हैं। स्वास्थ्य विभाग ऐसे रक्तदाताओं का विशेष आभारी है जो नियमित रूप से रक्तदान करते हैं। उन्होंने युवाओं से डा० अनिल वर्मा जिन्होंने 18 वर्ष की उम्र से लगातार साल में 3-4 बार रक्तदान किया उनसे प्रेरणा लेकर रेगुलर ब्लड डोनर होने का संकल्प लें।
         कार्यक्रम का संचालन डॉ० अनिल‌ वर्मा तथा धन्यवाद ज्ञापन चेयरमैन ललित जोशी ने किया।