परमार्थ निकेतन में श्रद्धा के साथ किया गया गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आज गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ किया गया। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी की स्मृति भी है। गोवर्धन पूजा प्रकृति और उसके संसाधनों के सम्मान का संदेश देती है। “प्रकृति बचेगी तो संस्कृति बचेगी।” इस अवसर पर घरों में गोवर्धन की झाँकी सजाई जाती है और प्रतिकात्मक रूप से पूजा की जाती है। यह पर्व प्रकृति के प्रति आदर और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करता है। अन्नकूट महोत्सव अर्थात् “अन्न का पर्व” में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को विविध प्रकार के व्यंजन, फल और अनाज अर्पित किए जाते हैं। यह महोत्सव केवल भौतिक भोजन का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समृद्धि और विश्व कल्याण का प्रतीक है। परमार्थ निकेतन में इस अवसर पर विश्व शांति, समृद्धि और पर्यावरण संरक्षण हेतु विशेष पूजन हुआ। इस पर्व के माध्यम से संदेश दिया गया कि प्रकृति का संरक्षण, जल का सम्मान, पौधों का रोपण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी है। गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव समाज में एकता, सहयोग और सामूहिक चेतना को सशक्त करते हैं। आइए, इस पर्व को उत्सव के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संकल्प बनाएं और प्रकृति व संस्कृति दोनों की रक्षा करें। प्रकृति का सम्मान करें, साझा करें, और आत्मानुशासन के साथ जीवन जिएँ।
